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यात्रा वृत्तांत >> आखिरी चट्टान तक

आखिरी चट्टान तक

मोहन राकेश

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7214
आईएसबीएन :9789355189332

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बहुआयामी रचनाकार मोहन राकेश का यात्रावृत्तान्त

 

पानी के मोड़


अर्णाकुलम् के जिस होटल में मैं ठहरा था, उसका मैनेजर बहुत मिलनसार आदमी था। उसकी मिलनसारी की वजह से बिल जहाँ ज़रूरत से ज्यादा बढ़ जाता था, वहाँ महसूस यही होता था कि एक दोस्त के यहाँ मेहमान बनकर ठहरे हुए हैं-और दोस्त भी ऐसा कि कह-कहकर हर चीज़ खिलाता था और बिना चाहे हर तरह का परामर्श देने लगता था।

"आज जा रहे हैं आप?" मैं चलने के दिन नाश्ते के बाद कॉफ़ी पी रहा था, तो वह मेरे पास आ बैठा। उसका पूछने का ढंग ऐसा था जैसे इसके बाद उसे यही कहना हो कि नहीं, मैं आज आपको नहीं जाने दूँगा।

"हाँ, आज शाम की बोट से अलेप्पी जाने की सोच रहा हूँ।" मैंने कहा।

"पेरियार लेक नहीं जाएँगे?"

मैं नहीं जानता था कि पेरियार लेक कहाँ है और उसकी विशेषता क्या है। मैंने उसे बता दिया कि न तो मुझे उस झील की कुछ जानकारी है और न ही मेरा वहाँ जाने का कार्यक्रम है।

"अरे!" वह बोला।" आप पेरियार लेक के बारे में नहीं जानते? वह दक्षिण-पश्चिमी भारत की सबसे सुन्दर झील है। दूसरी विशेषता यह है कि पहाड़ी झील है। चारों तरफ घना जंगल है जो हिंस जीवों की बहुत बड़ी सेंक्चुअरी है। आप नाव में बैठे-बैठे शेरों और चीतों को किनारे से पानी पीते देख सकते हैं। शिकार के लिए भी बहुत अच्छी जगह है। पर उसके लिए पहले इजाजत लेनी पडती है।"

मैंने काफी की प्याली खाली करके रख दी। मेरी कल्पना में पेरियार लेक का चित्र बन रहा था-मीलों में फैला गहरे हरे रंग का पानी पानी में उठती लहरे एक छोटीसी नाव ..चारों तरफ घनी हरियाली ऊँचीऊँची पहाड़ियों और एकान्त निस्तब्धता।

"यहाँ से कितनी दूर है?" मैंने पूछा।

"उसके लिए आपको यहाँ से अलेप्पी न जाकर पहले कोट्टायम् जाना होगा। कोट्टायम् से वह साठ-सत्तर मील है। बस या टैक्सी मिल जाती है। आप कहें, तो मैं यहीं से आपकी सारी व्यवस्था कर देता हूँ। सौ रुपये में जाना-आना और रहना सब हो जाएगा।"

सौ में से तीस-चालीस रुपये उसने बताया आने-जाने पर खर्च होंगे। तीस रुपये वहाँ नाव के देने होंगे। बाकी तीस-चालीस रहने-खाने और 'दूसरी सुविधाओं' पर लग जाएँगे। "ऐसी जगह आदमी का अकेले मन नहीं लगता न!" वह बोला। "इसलिए वहाँ के साथ का खर्च भी लेंने गिन लिया है। होटल वहाँ कोई है नहीं, इसलिए रहने-खाने का सारा इन्तजाम मेरे एक अपने आदमी के यहाँ होगा। वही आपके लिए दूसरा इन्तजाम भी कर देगा...एकदम ए क्लास। आप तय नहीं कर पाएँगे कि पेरियार लेक ज्यादा खूबसूरत है या...।"

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    अनुक्रम

  1. प्रकाशकीय
  2. समर्पण
  3. वांडर लास्ट
  4. दिशाहीन दिशा
  5. अब्दुल जब्बार पठान
  6. नया आरम्भ
  7. रंग-ओ-बू
  8. पीछे की डोरियाँ
  9. मनुष्य की एक जाति
  10. लाइटर, बीड़ी और दार्शनिकता
  11. चलता जीवन
  12. वास्को से पंजिम तक
  13. सौ साल का गुलाम
  14. मूर्तियों का व्यापारी
  15. आगे की पंक्तियाँ
  16. बदलते रंगों में
  17. हुसैनी
  18. समुद्र-तट का होटल
  19. पंजाबी भाई
  20. मलबार
  21. बिखरे केन्द्र
  22. कॉफ़ी, इनसान और कुत्ते
  23. बस-यात्रा की साँझ
  24. सुरक्षित कोना
  25. भास्कर कुरुप
  26. यूँ ही भटकते हुए
  27. पानी के मोड़
  28. कोवलम्
  29. आख़िरी चट्टान

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